Kavi Damodar (Dwitiya)
कवि दामोदर द्वितीय अथवा ब्रह्म दामोदर
ब्रह्म दामोदर दिल्ली पट्ट के भट्टारक जिनचंद्र के शिष्य थे। जिनचंद्र संस्कृत- प्राकृत के विद्वान होने के साथ-साथ प्रतिष्ठाचार्य भी थे। कवि का समय 16 वीं शताब्दी का है। कवि दामोदर की दो रचनाएं प्राप्त हैं।
1- श्रीपाल चरिउ - इसमें चार संधियां हैं। यह काव्य और पुराण दोनों ही दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसमें सिद्ध चक्र का महत्व बताया गया है।
2- चंदप्पह चरिउ- इसमें अष्टम तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभु का कथानक गुम्फित है। इस ग्रंथ की पांडुलिपि राजस्थान के नागौर में भट्टारकीय शास्त्र भंडार में सुरक्षित है।